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गर्भावस्था के समय होने वाली परेशानियों से बचाव के लिये परामर्श



सिविल सर्जन डॉ. गजेन्द्र सिंह तोमर के निर्देशानुसार जिला चिकित्सालय के नवीन भवन की ओ.पी.डी व वार्डों में डिप्टी मीडिया ऑफिसर रामलली माहौर द्वारा प्रचार-प्रसार के माध्यम से बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाऐं छोटी-बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से गुजरती है। कभी-कभी जटिल समस्या माँ और बच्चे के लिए घातक हो सकती है। पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं में यह जोखिम 20 से 30 प्रतिशत गर्भवती खतरे की सम्भावना रहती है। 17 से कम और 35 साल से ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने वाली महिलाओं में जोखिम ज्यादा रह सकता है।
गर्भवती महिलाओं के खतरे के लक्षण
डिप्टी मीडिया ऑफिसर माहौर ने बताया कि चक्कर आना, घबराहट, अत्याधिक थकान, सांस फुलना, सर में तेज दर्द, धुंधला दिखना, छाती में दर्द, बच्चे की हलचल कम, ब्लीडिंग होना, बेहोशी, हाईब्लडप्रेशर, एनीमिया आदि के लक्षण हो सकते है। इसके बचाव के लिये समय पर गर्भ का पता चलते ही अपने नजदीकी आँगनबाड़ी पर पंजीयन कर ए.एन.एम से सभी जाँच करायें। पोष्टिक आहार लें, दिन में आराम 1 घंटे जरूर करें, खून की कमी से बचने के लिए आयरन फोलिक एसिड का सेवन करें, वजन को नियंत्रित, धुम्रपान गुटखा, शराब कैफीन युक्त पदार्थ से दूर रहे। ऊपर दिए गए कारण होने पर डॉक्टर से नियमित जाँच व परामर्श लेते रहें। माँ और बच्चे को गर्भावस्था व डिलीवरी के समय होने वाले खतरे से बचाव किया जा सके। प्रचार प्रसार के समय वार्ड व ओ.पी.डी में नर्सिंग ऑफिसर मेघा, नम्रता, दीपा कौशल एवं अतुल राठौर उपस्थित थे।

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